मनुष्य रोटी से ही नहीं जीता

यहोवा की व्यवस्था खरी है वह प्राण को बहाल कर देती हैं यहोवा के नियम विश्वास योग्य है साधारण लोगों को बुद्धिमान बना देते हैं; यहोवा के उपदेश सिद्ध है, हृदय को आनंदित कर देते हैं; यहोवा की आज्ञा निर्मल है, वह आंखों में ज्योति ले आती है; यहोवा का भय पवित्र है, वह अनंत काल तक स्थिर रहता है; यहोवा के नियम सत्य और पूरी रीती से धर्ममय है। वे तो सोने से और बहुत कुंदन से भी बढ़कर मनोहर है; वे मधु से और टपकने वाले छत्ते से भी बढ़कर मधुर है। उन्हीं से तेरा दास जिताया जाता है; उनके पालन करने से बड़ा ही प्रतिफल मिलता है। (भजन 19:7–11)

भले ही आदमी के पास सब कुछ क्यों न हो उसके दिल में खालीपन तो रहता ही है। लोग कोशिश करते हैं कि अपने आप को मनोरंजन, दोस्तों, या अन्य चीजों से व्यस्त रखें; लेकिन ये खालीपन सिर्फ़ हमारे सृष्टिकर्ता परमेश्वर के साथ रिश्ते के द्वारा ही पूरा किया जा सकता है हम बाइबिल में देख सकते हैं कि विश्वासी अपने परमेश्वर और उनके वचन के द्वारा आनंद से भरे हुए थे। यह आनंद कभी जाता नहीं; यह अनंत आनंद है जो कोई भी हमसे छीन नहीं सकता

सच्ची रोटी

कई लोग भौतिक चीजों पर केंद्रित रहते हैं, जो ज़्यादा दिन टिकता नहीं। बल्कि यीशु कहते हैं,

यह लिखा है, ‘मनुष्य केवल रोटी ही से नहीं परंतु हर एक वचन से जो परमेश्वर के मुख से निकलता है जीवित रहेगा।’ (मत्ती 4:4)

हम दिन में तीन बार भोजन खाना तो नहीं भूलते ! जिस तरह हमें अपने शारीरिक वृद्धि के लिए भोजन की ज़रुरत है, हमारे आत्मिक उन्नति के लिए हमें परमेश्वर के वचन की जरूरत है। मनुष्य सिर्फ शरीर नहीं परंतु आत्मा भी है। हमारी आत्मा अदृश्य और अनंत है; इसलिए हमें उसका बहुत ख़्याल रखना चाहिए।

परमेश्वर से प्यार करना

परमेश्वर ने मनुष्य को सबसे बड़ी आज्ञा यही दी है कि उससे प्यार करें:

हे इस्राएल, सुन, यहोवा हमारा परमेश्वर है, यहोवा एक ही है; तू अपने परमेश्वर यहोवा से अपने सारे मन, और सारे जीव, और सारी शक्ति के साथ प्रेम रखना। और ये आज्ञाऐं जो मैं आज तुझको सुनाता हूँ वे तेरे मन में बनी रहे; और तू इन्हें अपने बाल-बच्चों को समझाकर सिखाया करना, और घर में बैठे, मार्ग पर चलते, लेटते, उठते, इनकी चर्चा किया करना। (व्यवस्था 6:4–7)

परमेश्वर से प्यार और बाइबल पढ़ना, दोनों ही अत्यन्त जुड़ी हुई बातें हैं। अगर हम परमेश्वर से सचमुच प्यार करते हैं तो हम उन्हें जानने के भी इच्छुक होंगे–उनके वचनों के द्वारा। अगर हम बाइबल पढ़ने के लिए समय न लें और उसके हिसाब से न जिए तो यह हमारे प्यार में कमी को दर्शाता है। यीशु भी इस बारे में कहते हैं:

यदि कोई मुझसे प्रेम करता है तो वह मेरे वचन का पालन करेगा। (यूहन्ना 14:23)

लाजरस की बहन मरियम ने परमेश्वर के प्रति अपने प्यार को अपने सही प्राथमिकताओं के द्वारा ज़ाहिर किया। उसने यीशु के वचनों को सुनना बेहतर समझा; और यीशु ने इसे सराहा भी:

जब वे चले जा रहे थे तो उसने एक गाँव में प्रवेश किया और मार्था नामक एक स्त्री ने उसे अपने घर में ठहराया। उसकी एक बहन थी जिसका नाम मरियम था जो प्रभु के पाँव के समीप बैठकर उस के वचन सुन रही थी। परंतु मार्था सेवा-टहल करते-करते व्याकुल हो उठी और उसने उसके पास आकर कहा, “हे प्रभु! क्या तुझे चिंता नहीं कि मेरी बहन ने सेवा-टहल के लिए मुझे अकेला छोड़ दिया है। उससे कह कि वह मेरी सहायता करें।” परंतु प्रभु ने उत्तर दिया, “मार्था, हे मार्था! तू बहुत सी बातों के लिए चिंतित तथा व्याकुल रहती है। परंतु कुछ बातें आवश्यक हैं। वास्तव में एक ही बात, और मरियम ने उस उत्तम भाग को चुन लिया है जो उस से छीना न जाएगा। (लूका 10:38–42)

परमेश्वर का वचन ज्योति है

तेरा वचन मेरे पाँव के लिए दीपक, और मेरे मार्ग के लिए उजियाला है। (भजन 119:105)

हमारा जीवन हमारे पिछले पापों और गलत फैसलों के द्वारा काफ़ी क्षतिग्रस्त हुआ है। इस नुकसान की भरपाई सिर्फ़ परमेश्वर के पास आकर उनके इच्छानुसार जीने की चाह को बढ़ाने से ही हो सकती है। अगर हम परमेश्वर के वचन के ज्योति को स्वीकार नहीं करते हैं तो हम अंधेरे में रहेंगे, यानी, पापों में; क्योंकि परमेश्वर का वचन ही हमें हमारे दैनिक जीवन में दिशा देता है ताकि हम पवित्र जीवन जिए। पुराने नियम के विश्वासियों ने भी परमेश्वर के वचन से ही शक्ति प्राप्त की:

जवान अपनी चाल को किस उपाय से शुद्ध रखें? (भजन 119:9)

परमेश्वर के वचन से शुद्धिकरण

अगर कोई खुले दिल से बाइबल पढ़े तो उसका सामना पवित्र परमेश्वर से होगा। और उनके पवित्रता की रौशनी में उसका सामना अपनी कमज़ोरियों और पापों से होगा:

क्योंकि परमेश्वर का वचन जीवित प्रबल और किसी भी दो-धारी तलवार से तेज़ है। प्राण और आत्मा, जोड़ों और गूदे, दोनों को आर-पार बेधता और मन के विचारों तथा भावनाओं को परखता है। जिसको हमें लेखा देना है उसकी दृष्टि में कोई भी प्राणी छिपा नहीं; उसकी आंखों के सामने सब कुछ खुला और नग्न है। (इब्रानियों 4:12–13)

परमेश्वर के वचनों से धुल जानें से हम उनसे मिलने के लिए तैयार होते हैं। इसलिए हमें परमेश्वर के प्रमाण से जीना ज़रूरी है जिस आधार पर हमारा न्याय आखिरी दिन होगा।

यीशु के वचनों में हमें हमारे पापों से शुद्ध करने की ताक़त है:

सत्य के द्वारा उन्हें पवित्र कर तेरा वचन सत्य है। (यूहन्ना 17:17)

मैंने तेरे वचन को अपने हृदय में रख छोड़ा है, कि तेरे विरुद्ध पाप ना करूं। (भजन 119:11)

जब कि तुमने भाईचारे के निष्कपट प्रेम के लिए सत्य का पालन करके अपनी आत्माओं को पवित्र किया है, तो ह्रदय की सच्ची लगन के साथ एक दूसरे से प्रेम करो। क्योंकि तुमने नाशवान नहीं, वरन अविनाशी बीज से, अर्थात, परमेश्वर के जीवित तथा अटल वचन द्वारा नया जन्म प्राप्त किया है। क्योंकि “सब प्राणी घास के सदृश है और उनकी सारी शोभा घास के फूल के सदृश है। घास सूख जाती हैं और फूल झड़ जाता है। परंतु प्रभु का वचन युगानुयुग स्थिर रहता है।” और यही वह वचन है जिसका तुम्हें सुसमाचार सुनाया गया था। (1 पतरस 1:22–25)

यहाँ परमेश्वर का अविनाशी वचन नाशवान चीजों के तुलना में रखा गया है।

बाइबल कैसे पढ़ा जाए

कई लोग बाइबल पढ़ते तो हैं, शायद हर दिन कुछ अध्याय, मानो कोई रिवाज़ का पालन कर रहे हो। ऐसी विधियाँ परमेश्वर के वचन को पढ़ने के असली मकसद को पूरी तरह नजरअंदाज कर देती हैं। परमेश्वर अपने बच्चों से बात करना चाहते हैं, जिस तरह हम भी उनसे अपनी प्रार्थनाओं के द्वारा बात करते हैं। परमेश्वर का वचन बाइबल में नहीं बदला; वह हमसे अलग-अलग मौकों पर बात करता है अगर हम खुले कान और निष्कपट हृदय रखें।

शमौन पतरस ने उसे उत्तर दिया, “प्रभु हम किस के पास जाएं। अनंत जीवन के वचन तो तेरे पास है।” (यूहन्ना 6:68)

दरअसल पहले हम में से कुछ भी बाइबल को गलत तरीके से पढ़ा करते थे और सही तरीका एक दूसरे से मिलने के बाद ही जान पाए। हम आप को आमंत्रित करते हैं कि हमसे संपर्क करें ताकि हम साथ में पढ़ और बात कर सके। 

परमेश्वर के वचनों को अपने जीवन में ढालना

बाइबल पढ़ना मानों यीशु की बात सुनना है। लेकिन सिर्फ सुनना काफी नहीं; उसे वास्तविकता में करना भी जरूरी है। जैसे यीशु ने कहा,

प्रत्येक जो मुझसे, “हे प्रभु, हे प्रभु” कहता है स्वर्ग के राज्य में प्रवेश न करेगा, परंतु जो मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चलता है वही प्रवेश करेगाइसलिए जो कोई मेरे इन वचनों को सुनकर उन पर चलता है वह उस बुद्धिमान मनुष्य के समान हैं जिसने अपना घर चट्टान पर बनाया। (मत्ती 7:21–27)

परंतु अपने आपको वचन पर चलने वाले प्रमाणित करो, न कि केवल सुनने वाले जो स्वयं को धोखा देते हैं। (याकूब 1:22)

कई लोग कहते हैं कि हम सच को नहीं जान सकते या हरेक के पास अपना-अपना सत्य होता है। लेकिन यीशु और उनके वचनों के द्वारा हम एक मात्र सत्य को जान पाते हैं और यही सत्य हमें पापों से आज़ाद करने की शक्ति रखता है:

तब यीशु उन यहूदियों से जिन्होंने उस पर विश्वास किया था, कहा, “यदि तुम मेरे वचन में बने रहोगे तो सचमुच मेरे चेले ठहरोगे। और तुम सत्य को जानोगे, और सत्य तुमको स्वतंत्र करेगा।” (यूहन्ना 8:31–32)

तेरे धर्ममय नियमों के कारण मैं प्रतिदिन सात बार तेरी स्तुति करता हूँ। (भजन 119:164)

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